आदमी मर रहे हैं कीट पतंगे नहीं, रेल मंत्री इस्तीफा दें: अरविंद वशिष्ठ
झांसी। शहर कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने कांफ्रेंस के माध्यम से कांग्रेस बंधुओं से चर्चा करते हुए प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर अफसोस व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि अभी तक देश में 80 प्रवासियों की मौत हो चुकी है। आदमी मर रहे हैं,कीट पतंगे नहीं। फिर सरकार असंवेदनशील होकर देख रही है। उन्होंने कहा कि मानवता के नाते रेल मंत्री को इस्तीफा दे देना चाहिए।
शहर अध्यक्ष अरविंद वशिष्ठ ने कहा कि मजदूरों के साथ जो दुर्व्यवहार हो रहा है। उसका उल्लेख शब्दों में नहीं किया जा सकता। उनके कष्ट को देखकर आत्मा छलनी हो रही है। स्पेशल ट्रेन से लौटे सात कामगारों की मौत हो गई दिल दहलाने वाली खबरें थम नहीं रहीं। कानपुर से झांसी आई खाली ट्रेन संख्या 041 68 कोच संख्या एस ई 068 226 के टॉयलेट में एक डेड बॉडी पाई गई जो बेहद चैका देने वाला था। अभी तक रेलयात्रा में लगभग 80 प्रवासियों की मृत्यु हो चुकी है। जिसका प्रमुख कारण देश में गर्मी चरम सीमा पर है, और यात्रियों को खाना तो दूर पीने को पानी भी नहीं मिला। जो बेहद दुखद एवं मानवता को शर्मसार कर देने वाला है। आदमी मर रहे हैं, कीट पतंगे नहीं लेकिन सरकार असंवेदन शील होकर देख रही हैं। सरकार को दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की बजाय रेल मंत्री लीपापोती कर रहे हैं। यदि रेल मंत्री अपना पदभार नहीं संभाल पा रहे हैं तो उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए।
विवेक बाजपेई ने कहा कि मजदूरों की पलायन से रोज मौत की खबरें आ रही है लेकिन सरकार क्या कर रही है समझ में नहीं आ रहा है।
राजेंद्रशर्मा एडवोकेट ने कहा कि स्टेशन पर महिला यात्री की डेड बॉडी के कफन से खेलते हुए बच्चे का जो वीडियो वायरल हुआ है क्या उसने सरकार की आत्मा को नहीं झिझोड़ा सरकार असंवेदनशील हो चुकी है उन्हें गरीबों का दर्द दिखाई नहीं दे रहा है। कॉन्फ्रेंस का संचालन जितेंद्र सिंह भदोरिया ने किया व आभार श्रीराम बिलगैंया ने व्यक्त किया। कॉन्फ्रेंस में भरत राय, अनिल रिछारिया, शिवम नायक,अनु श्रीवास्तव, जगमोहन मिश्रा, मुकुट बिहारी मिश्रा, राकेश अमरया,अनवर अली, मनीष रायकवार अमितचक्रवर्ती ,अभिषेक दीक्षित आदि उपस्थित रहे।
कहीं की टेªन पहुंच रही कहीं पर
ट्रेनें कहीं की कहीं पहुंच रही हैं। सूरत से सीवान के लिए निकली ट्रेन उड़ीसा पहुंच जाती है, ऐसा किसी एक ट्रेन के साथ नहीं कई ट्रेनों के साथ हुआ है कि वह गंतव्य पर पहुंचने के बजाय भटक कर कहीं और ही पहुंच गई। हद तो तब हो गई जब गुजरात के सूरत से बिहार को चली ट्रेन 2 दिन की बजाय 8 दिन में पहुंचती है आप समझ सकते हैं स्लीपर में इतनी गर्मी में इतना लंबा सफर अपने आप में किसी यातना से कम नहीं है। राजेंद्र रेजा’ ने कहा कि सरकार अपनी जिम्मेदारी से भाग नहीं सकती यदि उन्हें देश की चिंता नहीं है तो उन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए क्योंकि देश के जो हालात हैं उससे स्पष्ट है कि वह सरकार चलाने में सक्षम नहीं हैं।