असली कोरोना वीर योद्धा प्रवासी मजदूर, उनका सम्मान करो नाः रिजवान
जब तक भारत कोरोना मुक्त नही होगा, न सम्मान करेंगे न कराएंगे, केवल अपना धर्म निभाएंगे
झांसी। कोरोना वाॅयरस पूरे विश्व में कहर बरपा रहा है। भारत में भी दिन प्रतिदिन संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। ऐसे में कुछ संगठनों कोरोना वीर योद्धाओं का सम्मान करने का एक नया अध्याय शुरु कर दिया है। हर रोज विभिन्न लोगों सम्मानों से नवाजा जा रहा है। साथ ही संगठन भी अपने आप को सम्मानित कराने की होड़ लगाए हुए हैं। विपत्ति के इस समय में हमारी संस्था यह संकल्प लेती है कि जब तक भारत कोरोना मुक्त नहीं हो जाता तब तक न हम सम्मान करेंगे, न ही अपना सम्मान कराएंगे बल्कि ऐसे विपरीत समय में हम अपना धर्म निभाने का पूरा प्रयास करेंगे। यह कहना है गुलाम गौस खां युवा समिति के संस्थापक रिजवान राइन का। उन्होंने कहा असली कोरोना वीर योद्धा तो प्रवासी मजदूर हैं जिन्होंने बिना किसी साधन के अपने घर पहुंचने के लिए सैकड़ों किमी यात्रा की है।
उन्होंने कहा कि हम सब अपने धर्म का पालन कर रहे हैं। एक चिकित्सक का धर्म है मरीज का उपचार करना, एक सफाईकर्मी का धर्म है सफाई करना और एक पुलिसकर्मी का धर्म समाज के लोगांे की सुरक्षा करना है। साथ ही मीडिया भी अपना कर्तव्य निभा रही है। मैं इसके विरोध में नहीं हूं कि इनका सम्मान न हो। लेकिन अपने कार्य को पूरा करने के बाद ये सम्मान प्राप्त करें तो शायद इन्हें भी खुशी होगी। जबकि इस कोरोना काल में जब सभी आफत से जूझ रहे हैं कुछ संस्थान सम्मान राग अलापे घूम रही हैं। उन्होंने कहा कि असली कोरोना वीर योद्धा तो प्रवासी मजदूर है। सम्मान तो उसका होना चाहिए। जो मजदूर सैकड़ों किलोमीटर पैदल चलकर अपने गांव पहुंचने के लिए बिना थके,बिना रुके चलता रहा। जिसके पैरों में छालों के स्थान पर घाव हो गए। क्या वे मजदूर इस सम्मान के असली हकदार नहीं है। इसलिए उन्होंने संकल्प लिया है कि उनकी संस्था न तो किसी का सम्मान करेगी न ही किसी से सम्मान कराएगी। बल्कि अपने कर्तव्य पथ पर आगे बढ़ती रहेगी।