अपने बच्चों की परवरिश के साथ संतोषी निभा रही जिम्मेदारी
संकट की इस घड़ी में ग्रामीणों की सुरक्षा की जिम्मेदारी निभा रही आशा कार्यकर्ता
झांसी। कोरोना वायरस के संक्रमण की चिंता तो है। आने-जाने में मुश्किल भी हो रही है, पर हम काम करना बंद नहीं कर सकते क्योंकि इस समय अपना फर्ज निभाना और लोगों की जान बचाना जरूरी है दृ यह कहना है मऊरानीपुर ब्लाक के धमनापायक गाँव की आशा कार्यकर्ता संतोषी का। संतोषी जनपद की उन आशा कार्यकर्ताओं में से एक हैं जो इस वक्त वायरस के खतरे और चढ़ते हुए पारे में भी पूरे जोश के साथ प्रवासियों की जानकारी लेने और लोगों को कोरोना के प्रति जागरुक करने में जुटी हैं।
संतोषी बताती हैं कि वह वर्ष 2006 से आशा कार्यकर्ता के पद पर काम रही है। उस समय शराबी पति होने पर घर वालों की जिम्मेदारी संतोषी के कंधो पर ही आ गयी थी ऐसे में उन्हे आशा कार्यकर्ता की भर्ती के बारें में पता चला, पति की नाराजगी के बाद भी संतोषी ने आवेदन किया और चयनित होकर कार्य करने लगी, उनके कार्य में सबसे बड़ी अड़चन उनका पति ही था, कुछ वर्षों पहले उनका देहांत होने के बाद संतोषी आशा का कार्य कार्य करते हुये अपने बच्चों को अकेले ही पाल रही है। वह बताती है कि आम दिनों में मैं गाँव-गाँव जाकर लोगों के हाल-चाल लिया करती थी, गर्भवतियों की देखरेख, नवजात देखभाल, लोगों को परिवार नियोजन सम्बन्धी परामर्श देने के साथ-साथ उन्हें सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं की जानकरी देती थी। आम दिनों की अपेक्षा अब समय मुश्किल भरा है। कोरोना का संक्रमण गाँव में न फैले, इसके लिए बाहर से आए प्रवासियों की जानकारी इकट्ठा कर रही हूँ। मेरे क्षेत्र में अब तक 48 प्रवासी आए हैं, जिनकी लिस्ट बनाकर सीएचसी स्तर पर जमा कर दी है।
संतोषी की तरह जनपद की तमाम आशा कार्यकर्ता आज कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में सरकार के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हैं। लोगों को कोरोना के प्रति जागरुक कर रही है। अनावश्यक बाहर न जाने, मास्क पहनने और हाथ धोने के तरीके के बारे में भी बता रही है। इसके अलावा सुरक्षित प्रसव और टीकाकरण का लाभ दिलाने का भी पूरा प्रयास कर रही है। इतना जरूर है कि आशा अब लोगों के घर के अन्दर नहीं जाती। कोरोना संक्रमण के चलते बाहर से ही जानकारी देकर चली आती है।
मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जी के निगम का कहना है कि कोरोना महामारी के बढ़ते मरीजों के साथ-साथ सामुदायिक स्तर पर निगरानी को बढ़ाया जा रहा है ताकि संभावित या संक्रमित मरीजों का पता लगाकर उन्हें तुरंत क्वारंटाइन किया जाए। आशा कार्यकर्ता इसमें बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। वह प्रवासियों की निगरानी के लिए गठित ग्राम एवं शहरी निगरानी समितियों की सदस्य के रूप में बाहर से आने वालों और होम क्वारंटाइन किये गए लोगों पर भी नजर रख रही हैं। आशा कार्यकर्ताओं के बिना समुदाय में काम करना मुमकिन नहीं है।
स्वास्थ्य शिक्षा अधिकारी डॉ॰ विजयश्री शुक्ला ने बताया कि कंटेनमेंट जोन की आशा कार्यकर्ता के साथ ही अन्य कार्यकर्ताओं को लगाकर घर घर का सर्वे कराया जाता है, सकारात्मक कोरोना मरीज के संपर्क में आने वाले लोगों की सूचना भी हमें आशा के द्वारा ही प्राप्त होती है।
मोर्चे पर तैनात है जनपद की 1260 आशा कार्यकर्ता
जिला कार्यक्रम प्रबंधक ऋषिराज ने बताया कि कोरोना को हराने में जागरुकता सबसे बड़ा हथियार है और आशा कार्यकर्ता इसमें विशेष रूप से सहयोग कर रही हैं। वर्तमान में जनपद में ग्रामीण क्षेत्र में 1157 और शहरी क्षेत्र में 103 आशा कार्यकर्ता कार्य कर रही हैं। कोविड-19 को लेकर इन सभी को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पर तथा ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया गया है।