श्रीमद् भागवत कथा के श्रवण से होता है पापों का नाश : अनुज शास्त्री

रामजानकी मंदिर में हो रहा भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन
चित्रकूट (रतन पटेल)। कामदगिरि परिक्रमा मार्ग स्थित रामजानकी मंदिर मंे आयोजित हो रहीं श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ में कथा का रसपान कराते हुए व्यास अनुज शास्त्री ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण से होता है पापों का नाश होता है।

चित्रकूट के कामदगिरि परिक्रमा मार्ग स्थित रघुबर किशोर मंदिर में सात दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का आयोजन हो रहा है। कथा का रसपान करा रहे सुप्रसिद्ध भागवताचार्य अनुज शास्त्री (अन्नू भईया) ने कथा के माध्यम से सत्य मार्ग पर चलने व ईश्वर की भक्ति के बारे में जानकारी दिया। अनुज शास्त्री जी महाराज ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य को भक्ति के लिए ज्ञान की प्राप्ति होती है। उसी के आधार पर उसे मुक्ति मिलती है। कहा कि प्रत्येक प्राणी किसी न किसी तरह से दुखी व परेशान है। कोई स्वास्थ्य से दुखी है, कोई परिवार, कोई धन, तो कोई संतान को लेकर परेशान है। सभी परेशानियों से मुक्ति पाने के लिए ईश्वर की आराधना ही एकमात्र मार्ग है। इसलिए व्यक्ति को अपने जीवन का कुछ समय हरिभजन में लगाना चाहिए।

 

उन्होंने कहा कि भागवत कथा वह अमृत है, जिसके पान से भय, भूख, रोग व संताप सब कुछ स्वतः ही नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति को मन, बुद्धि, चित एकाग्र कर अपने आप को ईश्वर के चरणों में समर्पित करते हुए भागवत कथा को ध्यानपूर्वक सुनना चाहिए। श्रीमद भागवत कथा का श्रवण करने से जन्म जन्मांतर के पापों का नाश हो जाता है। श्रीमद भागवत कथा के श्रवण से महापापी का भी उद्धार हो गया। कथा व्यास ने बताया कि धुंधुकारी अति दुष्ट था। उसके पिता आत्मदेव भी उसके उत्पातों से दुखी होकर वन में चले गए थे। धुंधुकारी वेश्याओं के साथ रहकर भोगों में डूब गया और एक दिन उन्हीं के द्वारा मार डाला गया। अपने कुकर्मों के फलस्वरूप वह प्रेत बन गया और भूख प्यास से व्याकुल रहने लगा। एक दिन व्याकुल धुंधुकारी अपने भाई गोकर्ण के पास पहुंचा और संकेत रूप में अपनी व्यथा सुनाकर उससे सहायता की याचना की। इसलिए धुंधुकारी की मुक्ति के लिए गया श्राद्ध पहले ही कर चुके थे। लेकिन इस समय प्रेत रूप में धुंधुकारी को पाकर गया श्राद्ध की निष्फलता देख उन्होंने पुनः विचार विमर्श किया।

 

अंत में स्वयं सूर्य नारायण ने गोकर्ण को निर्देश दिया कि श्रीमद्भागवत का पारायण कीजिए। उसका श्रवण मनन करने से ही मुक्ति होगी। श्रीमद् भागवत का पारायण हुआ। गोकर्ण वक्ता बने और धुंधुकारी ने वायु रूप होने के कारण एक सात गांठों वाले बांस के भीतर बैठकर कथा का श्रवण मनन किया। सात दिनों में एक-एक करके बांस की सातों गांठे फट गईं। धुंधुकारी भागवत के श्रवण मनन से सात दिनों में सात गांठे फोड़कर, पवित्र होकर, प्रेत योनि से मुक्त होकर भगवान के वैकुंठ धाम में चला गया। कथा के बाद प्रसाद के वितरण किया गया। प्रसाद ग्रहण करने के बाद श्रद्धालुओं ने आशीर्वाद प्राप्त किया। कार्यक्रम में बांदा-चित्रकूट के पूर्व सांसद आर के सिंह पटेल,भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्र प्रकाश खरे,जिला मंत्री एवं वरिष्ठ समाजसेवी रामबाबू गुप्ता,नगर पालिका के वरिष्ठ सभासद शंकर यादव,यूपी जर्नलिस्ट एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष रतन पटेल आदि सैकडों लोग मौजूद रहे।

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